गीत श्री राम वनवास

प्रभु, श्री राम वनवास

( सुआ गीत )
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सूनी लागे अवध राजधानी,
सुआ हो ।
सूनी लगे रानी वास,
न रे सुआ हो -सूनी लगे रानी वास ।।
सूनी नगरिया,नगर के वासी,
सुआ हो ।
राम गए वनवास,
न रे सुआ हो-राम गए वनवास ।।
—-
बसे ननिहाल में भरत शत्रुघ्न,
सुआ हो ।
राजा हुए स्वर्ग-वास,
न रे सुआ हो-राजा हुए स्वर्ग-वास ।।
रोवत माता,कैकयी-कौशल्या,
सुआ हो ।
माता सुमित्रा उदास,
न रे सुआ हो-माता सुमित्रा उदास ।।
—–
काहे वचन मांगे,राम रघुवर ने,
सुआ हो ।
काहे खें मांगे वनवास,
न रे सुआ हो-काहे खें वनवास ।।
——
कैकई माता यही कह रोवे,
सुआ हो ।
मनवा रहता उदास,
न रे सुआ हो-मनवा रहता उदास ।।
——
माता-पिता के वचन निभाने,
सुआ हो ।
राम गए वनवास,
न रे सुआ हो- राम गए वनवास ।।
——-
राम जी के कहने से,राज भरत को,
सुआ हो ।
राम जी को मांगी वनवास,
न रे सुआ हो-राम जी को मांगी वनवास ।।
——-
भक्तों के उद्धार के कारण,
सुआ हो ।
राम गए वनवास ।
न रे सुआ हो-राम गए वनवास ।।
——–
जैसा जो मांगे वैसा ही पाये,
सुआ हो ।
पूरी करे राम आश ।
न रे सुआ हो-पूरी करे राम आश ।।
——–
भजें ‘स्नेही’ सिया-राम रघुवर,
सुआ हो ।
भव से तरन की आश ,
न रे सुआ हो-भव से तरन की आश ।।
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रचनाकार–लखन कछवाहा ‘,स्नेही’

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