**नववर्ष उत्सव*
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**कविता**
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झूमी है धरती झूमा गगन,
नववर्ष पर देश देखो मगन।
धरती है सरसाई मन हुआ चमन,
धुंँध के चादर में मिले धरती गगन।
नये साल पर देखा अद्भुत नजारा ,
बादलों को फिर से धरा ने पुकारा ।
नव संदेशा लेकर सूरज है आया ,
जोश औ उमंग भरी
रश्मियां है लाया ।
छोड़ों अलस को भर लो सब उमंगे ,
जागो जागो आशा की लाया तरंगें ।
झोंको ने रवि किरणों को दुलराया ,
वक्त कह रहा सबसे शुभ दिन है भाया ।
आलोकित कर मन को सबको जगायेंगें ,
तन मन झंकृत हो वो गीत सभी गायेंगे ।
अविचल अविरल नभ में भाव झिलमिलायेंगे,
सत्य शांति अहिंसा का पाठ हम पढ़ायेंगे ।
आतप विद्रोह जिद को
प्यार से मनायेंगे,
ज्ञान के अलख से नवचेतना लायेंगे ।
बुझे व उदास चेहरों में खुशियांँ लानी है,
बढ़़ते हुए दिलों की फासलें मिटानी हैं ।
खुशी के बाद फिर विपदा आन पड़ी है ,
द्वार पर ओमेक्रान राह रोके खड़ी है ।
पर हारेंगे ना हम उम्मीद का दीप जलाना है ,
फूट रही नव किरणों से
उत्साह दीप सजाना है।
नववर्ष लाया है नव प्रेरणा ,
आल्हादित मन से नवगीत सभी छेड़ना।
**सुधा देवांगन “शुचि”*
जिला–रायगढ़
**छत्तीसगढ़**
मोबाइल नंबर
9981442884
**जय हिन्द जय भारत*
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