आजादी के अमृत महोत्सव
हर घर तिरंगा
क्यों छिन रहे हो हमारी नींद ,
पल भर के लिए सो नहीं सकते ।
पूछ ले तू अपने दिल से जरा ,
सामने किसी के रो नहीं सकते ।।
घूम रहे हो रात के अँधियारे में ,
उजाले में तुम दिख नहीं सकते ।
काली रात में तेरे काले ये चेहरे ,
दिन उजाला सीख नहीं सकते ।।
घूम रहे हो तुम गलियों के सहारे ,
कभी भारतीय बन नहीं सकते ।
छुपकर रहोगे सदा ही किसी से ,
सीना तान कभी तन नहीं सकते।।
काट रहे वस्त्र टुकड़ियों में तुम ,,
कटे वस्त्र को तुम सी नहीं सकते ।
नृशंस हत्या करनेवाले जल्लादों ,
तू सोच खुलकर जी नहीं सकते।।
उजाले में आकर हाथ मिलाओ ,
उजाले में रहना सीख यहीं सकते।
हाथ तिरंगा लेकर हर घर तिरंगा ,
लहरा तुम भी कही हो सकते ।।
भक्ति गजल राम तेरी नैया
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा ,
छपरा सारण ,
बिहार ।
प्यारा तिरंगा
विषय- झंडा प्यारा यही तिरंगा झंडा, भारत में लहराता | भारत भूमि की ताकत बनकर, अरि को आँख दिखाता || जगत विजय का राष्ट्र प्रणय का,अमर तिरंगा भाता| लहरे परचम गौरव गाथा,देश सभी जन गाता|| हर घर झंडा जन्म महोत्सव, जन जन सभी मनाया| जन जन उर में अहंकार है, अपना शौर्य दिखाया|| पचहत्तरवाँ वर्ष … Read more