कविता आंचल

आंचल कविता/शायरी ऐ आंचल तेरी छाया में, पहले पहल जिया जीवन में इकलौती छाया, तुमने हमें दिया यहां विधाता भेजा हमको, दुनिया की दर पर छुप छुप जाता आंचल तुझमें, नहीं लगे तब डर लगता जैसे तूं ही घर,जब मैं जग में आया रही सुरक्षित तुमसे तो, मेरी अपनी काया मां के दुःख के आंसू … Read more

देश हुआ आज़ाद हमारा

देश के नाम मिली स्वतन्त्रता देश को स्वर्णिम सबकी थाती देश हुआ आज़ाद हमारा बरसों की सुधि आती अट्ठारह सौ सत्तावन में चिनगारी जो निकली लावा बन ज्वालामुखी का भारत भर में पिघली वीर किए मिल अंग्रेज़ों के मंसूबों को ध्वस्त भारत का परचम लहराया हुए फिरंगी पस्त नमन सभी का है सुभाष को जब … Read more