आजकल

आजकल देख अब बदल रहा है युग आजकल। विष बन रहा है माँ का दूध आजकल।। मान भी रिश्तों का अब रहा नहीं कहीं। इन्सानियत का मिट रहा वजूद आजकल ।। चाहता न देखना किसी को अब कोई। बदल रहा समाज का भी रूप आजकल।। छाँव मे रहना नही अब चाहता कोई। लगती है भली … Read more

हायकू मन का चोर बढ़ता जाए मोह वो चितचोर

हायकू ‌ 10/2/2022 ————- मन का चोर ———————- मन का चोर बढ़ता जाए मोह वो चितचोर ! नीदें चुराता, सपने भी दिखाता, रातें जगाता ! दिल बेचैन, जाग जागी सी रैन, खोया है चैन! उदास मन, करूं लाख जतन, रुठे सजन! भींगी पलकें, बिखरी हैं अलकें, मन भटके! कह ना पाऊॅं, खुद को समझाऊॅं, मैं … Read more