मेरे बचपन की एक सच्ची दास्ताँ

************************ (जब मैं गुम हो गया था) ******************** पहले अक्सर गाँव-घर की महिलाएँ झुंड बनाकर ट्रैक्टर वगैरह से कहीं यज्ञ या कोई धार्मिक अनुष्ठान आदि देखने जाया करती थी, क्योंकी उस समय गांव देहात के लिए ट्रेक्टर ही उपयुक्त और सस्ती सवारी हुआ करती थी और सुगमता से मिल भी जाती थी। एक दिन की … Read more

आज क्यों? एक कविता

आज क्यों? एक कविता मन में अब तरह-तरह के, ऊठ रहे हैं प्रश्न क्यों? लोग अब खुली आँखों से, देख रहे हैं स्वप्न क्यों आसियाँ ऊजड़ रहा, आज बेगुनाह का। मिट रहा निशान, उसका जो कभी पनाह था।। हर जगह इन्सान जिन्दा, जल रहा है आज क्यों? अब जहर नफरत का मन में, पल रहा … Read more

कविता_दरकार है

हार की दरकार है जीत से मन ऊब गया है हार की दरकार है। वार करे पीठ पर जो यार की दरकार है।। बढ़ चुकाआतंक जग मे, तंग आ चुका हूँ मै। मिल रही नाकामियों के, संग आ चुका हूँ मै। दिल में है नफरत भरा, न प्यार की दरकार है। जीत से मन ऊब … Read more