मेरे बचपन की एक सच्ची दास्ताँ
************************ (जब मैं गुम हो गया था) ******************** पहले अक्सर गाँव-घर की महिलाएँ झुंड बनाकर ट्रैक्टर वगैरह से कहीं यज्ञ या कोई धार्मिक अनुष्ठान आदि देखने जाया करती थी, क्योंकी उस समय गांव देहात के लिए ट्रेक्टर ही उपयुक्त और सस्ती सवारी हुआ करती थी और सुगमता से मिल भी जाती थी। एक दिन की … Read more