व्यापारिक पटल
अरुण दिव्यांश व्यापारिक पटल नहीं चाहिए व्यापारिक पटल , बन रहे कविजन उल्लू सीधा । रकम वसूलते भारी भरकम , संग में माँगते कोई भी विधा ।। एक तो दें कवि अपनी रचना , दूजे देते ऊपर से वे भी पैसे । लालच से ग्रसित यह जीवन , सच्चे रिश्ते चल पाएँगे कैसे ।। जपते … Read more