आजादी का अमृत महोत्सव
शीर्षकः हर घर तिरंगा
जाति धर्म सब त्यागकर ,
भारतीयता हमें दिखाना है ।
ईर्ष्या बैर भाव सब भूलकर ,
अनेकता में एकता लाना है ।।
मत देखो अनेकता हमारी ,
हम भारतवासी सारे एक हैं ।
भले जाति धर्म अनेक किन्तु ,
इरादे हमारे सदा ही नेक हैं ।।
एक मुहिम राष्ट्र में चलाकर ,
विश्व को हमें दिखला देना है ।
हम हैं भगत सुभाष के वंशज ,
बच्चा बच्चा भारतीय सेना है ।।
घर घर में ध्वज तिरंगा फहरा ,
भारत माँ का गौरव बढ़ाना है ।
कर कर में राष्ट्र तिरंगा लहरा ,
भारतीय एकता हमें दिखाना है ।।
जिस घर पर तिरंगा न होगा ,
राष्ट्रद्रोही वह तो कहलाएगा ।
चलेगी मुकद्दमा राष्ट्रद्रोह का ,
सीधे वह कैदखाने ही जाएगा ।।
हम हैं वतन के वतन है हमारा ,
वतन हेतु जीना मरना है गवारा ।
जयहिन्द जयभारत हमारा नारा ,
वंदेमातरम् जयघोष है स्वीकारा।।
सुनों फलों के राजा इतना क्यों भाव खाते हो
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा , सारण
बिहार