एक संस्मरण
वो औरत
बात उन दिनों की है लेकिन बिल्कुल सच्ची है मेरी शादी उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी बनारस के पास एक गांव में हुआ है उस समय वहां ना बिजली के सुविधा थी ना यातायात की जब कभी दैनिक सामानों की जरूरत पड़ती है तब भी शहर की ओर जाना पड़ता था
जब भी मैं जरूरत पड़ने पर शहर जाती थी दो या तीन बसें चलती थी मैं अपने छोटे बच्चे को लेकर बस से बनारस सिटी जाती थी एक महिला अक्सर मुझे मिला करती थी जो सभी से हंस हंस कर बातें किया करती थी मुझे पता नहीं क्यों उनका इस तरह हंसना अच्छा नहीं लगता था क्योंकि बचपन से ही सुनती आई थी महिला जात को इस तरह हंसना नहीं चाहिए सभी से बातें नहीं करना चाहिए इसी पूर्वधारणा से ग्रसित होकर मैं उस महिला को अच्छे आचरण का नहीं समझती थी
एक बार जब मैं बस से बनारस सिटी जा रही थी घरेलू जरूरतों की वजह से तो महिला बस में नहीं मिली
मैंने कंडक्टर से पूछा आज वह मैडम क्यों नहीं आई है उस कंडक्टर को सब कुछ पता था उसने जो बातें बताइ मैं आत्मग्लानि से भर गई उसने बताया मैडम की तबीयत बहुत बड़ा खराब है और हॉस्पिटल में भर्ती है और मुझे भी देखने जाना है उन्हें जरूरत के सामान पहुंचाने हैं मैंने तत्काल पूछा क्यों उनके परिवार वाले कहां है परिवार से नहीं पटती है क्या
कंडक्टर ने जवाब दिया नहीं मैडम उनके पति और दो बच्चे एक एक्सीडेंट में मारे गए हैं अब कोई नहीं है उनका कुछ दिन रिश्तेदारों ने साथ दिया उनका शोषण भी करते रहे और एहसान भी जताते रहे जब इन्होंने अपनी बुद्धि विवेक संभाला तो रिश्तेदारों ने भी साथ छोड़ दिया है
अब वह नौकरी करती हैं अपने जीवन यापन के लिए स्वाभिमान के संग जीने की लालसा में वह प्रतिदिन इसी बस से आती जाती हैं इसी से हम सब उन्हें बड़ी दीदी मा की तरह मानते हैं
कंडक्टर के मुंह से यह बातें सुनकर मैं तुरंत मन ही मन मैंने उस महिला को प्रणाम किया उसके स्वाभिमान को प्रणाम किया
एक जरूरत की सीख मैंने अपने जीवन में बांध लिया कि किसी भी इंसान के प्रति विशेषकर यदि वह महिला हो तो पूर्वधारणा से ग्रसित होकर कभी भी उनके दामन में दाग लगाने की भूल से भी कोशिश ना करें पूरी जानकारी लेने के बाद ही अपनी विचार तय करें।
आया सावन गंगा जल चढ़ा ले
मेरा यह संस्मरण आप सभी को कैसा लगा कृपया मुझे प्रतिक्रिया दें
डॉ बीना सिंह “रागी”6266338031
छत्तीसगढ़