नया वर्ष
*शीर्षक -: नए से पहले पुराना हिसाब*
आओ अपने मन की सूची को
कुछ इस तरह तैयार कर लें
इस वर्ष किया जो जो भी
आओ उसका हिसाब कर लें
कितना किसको हंसाया हमने
कितना किसको रुलाया है
कितना कुछ गैर किया हमने
और कितना अपना बनाया है
कई बीमारियों का किया सामना
जिसमे भीषण कोराना आया
क्या क्या हमने खोया यह पर
क्या क्या हमने पाया है
कितने दर्द में आंसू बह गए
कितने घरों में मातम छाया है
किन किन घरों में दीपक बुझ गए
किन घरों में दीप नजर नहीं आया है
बहते आंखो के आसुओं का
आओ हम आभास कर ले
इस वर्ष किया जो जो भी
आओ उसका हिसाब कर लें
किन कानूनों की हुई वापसी
किनमे विचार विमर्श अभी जारी है
किसका न्यायिक सत्र समाप्त हुआ
किसको चुनने की तैयारी है
किसने किस पर इल्ज़ाम लगाए
किसने उठाई जिम्मेदारी है
किसकी कलम निजी कार्य को
लिखती कलम कौन सरकारी है
यह वर्ष पूर्ण समाप्ती की छोर
नए वर्ष की हो रही तैयारी है
नई सोच के मंच लगेंगे
नए नए वादे मिलेंगे
अपने नए कुछ पुराने जो जाएंगे
वहीं नए पुराने बम कर समझाएंगे
की देरी क्या है कुछ नया विलय में
कुछ कह नहीं सकते इस विषय में
की कितना घूम सकते है
इस जिंदगी के हिस्से में
हर वर्ष की भांति
जिंदगी इस वर्ष भी घुमाएगी
कितना घूमे है हम इस वर्ष
अगले वर्ष बताएंगे हम
इस वर्ष के किस्से में
इस वर्ष के किस्से में
Thought Writer dk sayar ✍️
दीपक कुमार विश्वकर्मा
फतेहपुर उत्तर प्रदेश
Jitna tarif ki jaye utna kam hai bemisaal hai poem
Thanks deepak bhaiya