।। यह कैसा नववर्ष ।।
सर, सर,सर, सर, कर यूं ही सरक जाएगी जनवरी।
फर, फर, फर, फर, कर उड़ जाएगी फरवरी ।।
मार्च लेकर आएगा रंगों का त्योहार ।
अप्रैल में बैसाखी लाएगी खुशियां अपार ।।
ऊफ!! मई और जून की तपती दोपहर।
काटे नहीं कटते रात दिन और चारों पहर ।।
जुलाई लेकर आएगा रिमझिम रिमझिम ठंडी फुहार ।
धानी चुनर उड़ धरती ने किया फिर से सिंगार ।।
जश्न ए आजादी लेकर आता है अगस्त हर बार ।
करेंगे गुरुजनों का सम्मान सितंबर में बारंबार ।।
अक्टूबर में फिर सजेगा मां का दरबार ।
नवंबर में घर घर जगमगायेगे खुशियों के दीप हजार ।।
दिसंबर में सांता फिर लेकर आएगा ढेरों उपहार।
फिर हम मनाएंगे क्रिसमस का त्यौहार ।।
उपेंद्र अजनबी
गाजीपुर उत्तर प्रदेश।।