“मानव ने ही मानव को जन्म दिया लेकिन मानवता समझ नहीं आती”
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ये कैसा जमाना आया है इस मानव ने भी मानवता को भूलाया है
मानव अपनों से प्यार नहीं करता अपनों को समझता पराया है।
स्वार्थ दौलत ओर लालच ने मानव को बिल्कुल कर दिया अंधा
अपनों का प्यार छोड़कर उसने गैरों की नफरत को गले लगाया है।
मानवता के महत्व को भूलकर छल और कपट के पीछे दौड़ रहा
छल और कपट ने ही इस फ़ानी दुनिया में अच्छे-अच्छो को रुलाया है।
स्वार्थ घमंड और दौलत के सैलाब में सब के सब बह जाया करते हैं
मानवता की पूजा करने वालों ने ही इस दुनिया में इतिहास बनाया है।
जिसने मानवता को छोड़ा दुनिया में फिर उसका नहीं ठिकाना है
मानव की सेवा करके मानवता को मानव ने दिल में बसाया है।
लाचार और कमजोरो की सेवा करना ही मानवता कहलाती हैं
नर सेवा ही तो नारायण सेवा है नर में ही नारायण समाया है।
मानव ने ही मानव को जन्म दिया लेकिन मानवता समझ नहीं आती।
ये कैसा जमाना आया है गीता में इसको नारायण ने हमे समझाया है
सीताराम पवार
उ मा वि धवली
जिला बड़वानी
9630603339